चित्तौड़गढ़ के  दर्शनीय स्थल →Historical and scenic places of Chittorgarh

चित्तौडग़ढ़ दुर्ग (Chittorgarh Durg)→ 

निर्माण-चित्रांग मौर्य, यह राजस्थान का सबसे बड़ा प्रथम लिविंग फोर्ट है, 
एकमात्र ऐसा किला जिसमें खेती की जाती थी। 
कथन-“गढ़ तो चित्तौड़ बाकी सब गढैया”। इसका आधुनिक निर्माता-कुम्भा।

चित्तौड़गढ़ दुर्ग जिसकी आकृति एक विशाल व्हेल मछली के समान है, समुद्र तल से एक हजार 810 फीट ऊंचे पठार पर निर्मित है। इसकी लम्बाई 5.6 किलोमीटर तथा चोड़ाई 0.8 किलोमीटर है। इसका क्षेत्रफल लगभग 28 वर्गकिमी. तथा दुर्ग की परिधि लगभग 13 किमी. है।
 दुर्ग पर जाने के लिए सात प्रवेश द्वारों से गुजरना पड़ता है।

चित्तौड़गढ़ दुर्ग के प्रमुख साके—

पहला साका—

1303 ई.अलाउद्दीन खिलजी व रत्नसिंह के मध्य, रत्न सिंह ने केसरिया किया एवम् उसकी रानी पद्मिनी ने 1600 महिलाओं के साथ जौहर किया। 
अलाउद्दीन ने इस दुर्ग का नाम खिज्राबाद रखा। (जौहर मेला)

दूसरा साका—

गुजरात के बहादुरशाह एवं मेवाड़ के विक्रमादित्य के मध्य 1534 (1535) में युद्ध हुआ था। 
बाघसिंह ने केसरिया एव रानी कर्मावती ने जौहर किया। 
इस समय कर्मावती ने सहायता हेतु हूमायुं को राखी भेजी थी।

तृतीय साका—

1568 में, अकबर व उदयसिंह ने मध्य युद्ध हुआ।
 जयमल व फता ने केसरिया किया एवं फता की पत्नी फूलकंवर ने जौहर किया।